SYL Dispute: एसवाइएल पर हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक कर समस्या का समाधान निकालने के निर्देश दिए थे। केंद्र सरकार ने कोर्ट को अवगत करवाया कि पंजाब सरकार मामले में सहयोग नहीं कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि SYL बनाने के लिए सर्वे शुरू किया जाए। साथ ही पंजाब को सहयोग करने का आदेश भी दिया है।
हरियाणा के पक्ष में आ चुका फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने SYL मामले में 10 नवंबर 2016 को हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि SYL का बकाया काम पूरा कर हरियाणा को पर्याप्त पानी दिया जाए। 28 जुलाई 2020 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता का आदेश दिया। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह मध्यस्थता की मगर कोई नतीजा नहीं निकला।
यह है एसवाईएल विवाद
पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर 1976 को 1 करोड़ रुपये लिए और 1977 को एसवाईएल के निर्माण को मंजूरी दी। बाद में पंजाब ने एसवाईएल नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी। 1979 में हरियाणा ने एसवाईएल के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। 1981 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।
1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया। इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने एसवाईएल की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
1990 में 3 जुलाई को एसवाईएल के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई। 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया। 2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा। अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोनों राज्यों के बीच हुई बैठकों की रिपोर्ट केंद्र 19 जनवरी को दाखिल कर चुका है।